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भारतीय सांख्यिकीय संस्थान
सहयोजिता ज्ञापन*
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इस सोसाइटी का नाम भारतीय साख्यिकीय संस्थान होगा ।
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इस संस्थान के लक्ष्य निम्नांकित होंगे :
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सांख्यिकी के अध्ययन का प्रोन्नयन एवं इसके ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना, सांख्यिकी सिद्धांत एवं प्रविधियों का विकास करना तथा अनुसंधान एवं प्रायोगिक अनुप्रयोजनों में सामान्यतया, राष्ट्रीय विकास एवं समाज कल्याण की योजना की समस्याओं के विशेष संदर्भ में इसका उपयोग करना ।
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प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों के विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी एवं इन विज्ञानों के पारस्परिक विकास की दृष्टि से अनुसंधान कार्य करना ।
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प्रबंधन एवं उत्पादनों की दक्षता की आयोजना एवं अभिवृद्धि के उद्देश्य से सूचनाओं का संग्रहण, अन्वेषण, परियोजनाओं एवं प्रचालन अनुसंधानों का क्रियान्वयन करना एवं उपलब्ध करवाना ।
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उपरोक्त 2.1, 2.2 एवं 2.3 में वर्णित लक्ष्यों की पूर्ति में किसी अन्य सहायक गतिविधियों का क्रियान्वयन करना ।
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अपने लक्ष्यों अथवा इनमें से किसी लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए एवं इसके संबंध में संस्थान को निम्नलिखित अधिकार होगा :
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बैठकें आयोजित करवाना, तथा व्याख्यानों, सेमिनारों, विचार-विमर्श, सम्मेलनों, अनुदेशों एवं अध्ययन के पाठ्यक्रमों की व्यवस्था करना ;
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विद्यालयों, महाविद्यालयों, प्रशिक्षण संस्थानों, शिक्षा केन्द्रों, प्रयोगशालाओं, कार्यशालाओं, निर्माणियों, प्रायोगिक फार्मों, अनुसंधान एककों, क्लिनिक, चिकित्सकीय एवं जैविक एककों, पुस्तकालयों, वाचनालयों एवं संग्रहालयों की स्थापना एवं रख-रखाव में सहायता करने के साथ इन्हें स्थापित करना, अनुरक्षण करना एवं प्रबंधन करना ;
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संस्थान के लक्ष्यों में संदर्भित क्षेत्रों में अग्रिम अध्ययनों एवं अनुसंधानों के लिए सुविधाएँ उपलब्ध करवाना ;
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प्रोफेसरों, व्याख्याताओं एवं अन्य पदों की स्थापना अथवा सृजन करना तथा यथावश्यक अधिकारियों, कार्मिकों, ठेकेदारों एवं अन्य के वेतन, भत्ता, मानदेय अथवा दिहाड़ी अथवा प्रति दर पारिश्रमिक अथवा बिना पारिश्रमिक पर पूर्णकालिक अथवा अंशकालिक अथवा आकस्मिक के आधार पर नियुक्ति करना ;
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* भारतीय सांख्यिकी संस्थान का पंजीकरण सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (XXI वर्ष 1860) के अंतर्गत दिनांक 28 अप्रैल, 1932 को हुआ था । पश्चिम बंगाल सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम XXVI वर्ष 1961 के अधिनियमन द्वारा वर्ष 1964 में संशोधित, द्वारा यह संस्थान परवर्ती अधिनियम के प्रभाव क्षेत्र में आ गया (देखें प.बं. सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम XXVI, वर्ष 1961 की धारा 36) । सहयोगिता के ज्ञापन का प्रथम पुनरीक्षण दिनांक 26 जुलाई, 1974 को आयोजित विशेष आम सभा में अंगीकृत किया गया था एवं वर्तमान पुनरीक्षणों को दिनांक 22 नवम्बर, 2007 एवं 10 सितम्बर, 2008 को आयोजित विशेष आम सभा में अंगीकृत किया गया था ।
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संस्थान की विभिन्न क्षेत्रों में गतिविधियों के उचित एवं प्रभावकारी संचालन के लिए कार्य केन्द्रों, शाखाओं, प्रभागों, विभागों, संकायों, अनुभागों एवं एककों का सृजन करना ;
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परीक्षाएँ आयोजित करना तथा डिप्लोमा, प्रमाण-पत्र एवं संस्थान के लक्ष्यों में संदर्भित क्षेत्रों में प्रवीणता हेतु विधि के अंतर्गत यथा अनुमति योग्य डिग्री प्रदान करने के साथ-साथ अन्य उपाधियों को अवार्ड करना ;
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फील्ड कार्य सहित अन्वेषण कार्य का क्रियान्वयन करना तथा सांख्यिकी एवं अन्य विषयों पर अपने पक्ष में अथवा सरकार या अन्य संस्थाएँ, संगठनों, दलों या व्यक्तियों के पक्ष में अथवा सहयोगिता या सहभागिता के साथ रिपोर्ट तैयार करना ;
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पुस्तकों, आवधिक पत्तों, रिपोर्टों, अनुसंधान एवं कार्य प्रबंधों एवं अन्य सामग्रियों का अपने स्वयं के लागत पर या अनुदान से अथवा इस उद्देश्य से प्राप्त अन्य सहायता से प्रकाशित करवाना तथा उपरोक्त श्रेणी के प्रकाशनों की बिक्री करना, इन्हें मुफ्त अथवा अल्प मूल्यों पर वितरित करना, तथा उपरोक्त उद्देश्य से प्रिंटिंग प्रेस, फोटोग्राफिक एकक अथवा पुनरोत्पादन के अन्य विधियों एऴं अन्य तकनीकी स्थापनाओं की प्रत्यक्ष रूप से अथवा अन्य अभिकरणों के साथ सहभागिता में स्थापना एवं अनुरक्षण करना ;
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संस्तान के अनुसंधान एवं पठन-पाठन गतिविधियों का उचित प्राधिकारियों के अनुमोदन से विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त संगठन में विकास करना ;
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संस्थान एवं/अथवा इसके डिप्लोमा, प्रमाण-पत्रों, डिग्रियों का भारत के विभिन्न भागों एवं विदेशों में पंजीकृत करवाने एवं/अथवा मान्यता दिलवाने के लिए उचित कदम उठाना ;
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प्रत्यक्ष रूप से अथवा सहयोजित या आर्थिक सहायता प्राप्त अभिकरणों के साथ सहभागिता में संगठन एवं वैज्ञानिक उपकरणों, मशीनों, उपस्करों, यंत्रों एवं औजारों के विकास के लिए एवं इनके निर्माण, गठन, उत्पादन हेतु अनुसंधानों का क्रियान्वयन करना ;
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प्रत्यक्ष रूप से अथवा सहयोजित या आर्थिक सहायता प्राप्त अभिकरणों के साथ सहभागिता में इस संस्थान के उद्देश्यों में संदर्भित क्षेत्रों में जाँच एवं फील्ड प्रयोगों एवं प्रचालनात्मक अनुसंधानों का आयोजन एवं क्रियान्वयन करना ;
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कार्य केन्द्रों, शाखाओं, अथवा सहयोजित या इस संस्थान के पूर्णतः या अंशतः समान लक्ष्यों वाले अन्य संस्थानों का संगठन, स्थापना, सम्बद्धन, क्रियान्वयन एवं अनुरक्षण, समापन, असम्बद्धन अथवा त्याग करना ;
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ऐसे अन्य संगठनों का इस संस्थान के साथ विलय करना, जिनके लक्ष्य पूर्ण रूपेण अथवा अंशतः इस संस्थान के लक्ष्यों के समान हैं, अथवा इस संस्थान का ऐसे संगठनों के साथ विलय करना ;
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सरकार, विश्व विद्यालयों, संघों, सोसाइटी, संस्थानों एवं संगठनों के साथ सहयोग करना एवं बर्हिवर्ती केन्द्रों की स्थापना करना ;
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इस संस्थान के उद्देश्यों में संदर्भित क्षेत्रों में विश्व के विभिन्न भागों में किये जा रहे अनुसंधानों, अध्ययनों एवं गतिविधियों के साथ संपर्क स्थापित एवं अनुरक्षित करना तथा विश्व के विभिन्न भागों में इन क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों के साथ संयुक्त एवं सहकारिता अध्ययनों एवं परियोजनाओं, बैठकों, सम्मेलनों एवं भ्रमणों का आदान-प्रदान करके एवं अन्यथा संपर्क स्थापित करना ;
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प्रदान किये गये सामानों अथवा सेवाओं के बदले में वृत्तिदानों, उपहारों, दानों, शुल्कों, खण्ड अनुदानों, किराया एवं अन्य निधियॉं एवं भुगतानों को स्वीकार करना; निधियों का निवेश करना; उधार लेकर अथवा अन्यथा धन एकत्रित अचल एवं चल संपत्तियों की खरीद करना, पट्टे पर अथवा अन्यथा अधिग्रहण करना, तथा बिक्री करना, किराये अथवा पट्टे पर देना अथवा अन्यथा निपटान करना ;
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संस्थान की गतिविधियों के संबंध में नकद अथवा अन्यथा प्रतिभूति जमा प्राप्त करना ;
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इस संस्थान के कार्यों के क्रियान्वयन हेतु व्यय करना एवं सभी आवश्यक वित्तीय व्यवस्थाएं करना ;
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व्यक्तिगत कार्यकर्ताओं, संस्थानों अथवा सहयोजित निकायों को दान एवं अनुदान देना, अंशदान अथवा अन्यता रूप में सहायता देना, जब संस्थान के उद्देश्यों अथवा इनमें से किसी एक लक्ष्य को आगे बढ़ाने में यह आवश्यक समझा जाए ;
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इस संस्थान के कार्मिकों के लाभार्थ एक अथवा अधिक भविष्य निधि अथवा बहुवर्षिता निधि अथवा समान निर्धियों की स्थापना, अनुरक्षण अथवा निरंतरता कायम रखना, साथ ही ऐसे अन्य व्यक्तियों के लिए, जिन्हें संस्थान द्वारा भविष्य निधि लाभ प्रदान किया जा सकता है ;
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अपने स्वयं के प्रबंधन के अंतर्गत अथवा ऐसे प्राधिकारियों, अभिकरणों, संस्थानों अथवा संघों के प्रबंधन के अंतर्गत निधियों का सृजन एवं गठन करना, जैसा कि इस प्रकार के कार्य के क्रियान्वयन के उद्देश्य से उपयुक्त समझा जाता है एवं इस संस्थान तथा इस संस्थान के कार्मिकों के हितों में उन पर सौंपा जा सकता है अथवा इस संस्थान के उद्देश्यों को या इनमें से किसी एक उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक समझा जाता है, तथा ऐसी निधियों इतनी राशि का भुगतान करना, जो कि उपरोक्त गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु समय-समय पर आवश्यक माना जाता है ;
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इस संस्थान एवं इसके कार्मिकों के उद्देश्य से भूमि का विकास करना तथा सड़कें, नालियों, जल कार्य, भवन, संरचनाओं एवं अन्य निर्मित्तियों का निर्माण करना, बनाना, परिवर्तन करना अथवा तोड़ना ;
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इस संस्थान की गतिविधियों का उचित एवं प्रभावकारी कार्यनिष्पादन एवं/अथवा इनके कार्मिकों तथा इनके परिवारों, छात्रों एवं सहयोजित कार्यकर्ताओं के कल्याण के लिए प्रत्यक्ष रूप से अथवा उपयुक्त आर्थिक सहायता प्राप्त या अन्य अभिकरणों के माध्यम से हॉस्टल, मेस, अतिथि निवास, आवासीय गृहों एवं कॉलनियों, कैंटीन, यातायात, रात्रि पाठशाला, वयस्क शिक्षा केन्द्र, स्वास्थ्य गृह, क्लब एवं सहकारिता संगठनों सहित संगठनों आदि की स्थापना एवं अनुरक्षण करना ;
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उपरोक्त में से सभी अथवा किन्हीं चीजों का विश्व के किसी भाग में प्रधानों, अभिकरणों, ठेकेदारों, न्यासियों के रूप में अथवा अन्यथा या तो अकेले या अन्य के साथ मिलकर करना ;
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नियमों एवं विनियमों को बनाना तथा समय-समय पर इसे संशोधित करना या रद्द करना ;
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नियमों एवं विनियमों में यथा निर्धारित तरीके से सांविधि, बाई-लॉज एवं स्थायी आदेशों को बनाना, परिवर्तित करना अथवा रद्द करना ; एवं
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ऐसी कार्रवाई अथवा कार्रवाइयों को करना, जो कि संस्थान के उद्देश्यों अथवा इनमें से किसी एक की प्राप्ति हेतु आनुषांगिक अथवा मार्गदर्शी हो ;
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समय-समय पर यथा निर्धारित किन्हीं योग्यता अर्हताओं की शर्त पर संस्थान की सदस्यता लिंग, राष्ट्रीयता, जाति, धर्म, प्रजाति अथवा रंग-भेद के कारणों से प्रतिबंधित नहीं होगा ।
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संस्थान अपने आय अथवा लाभों का कोई अंश लाभांश, उपहार अथवा बोनस के रूप में अथवा किसी अन्य तरीके से अपने सदस्यों के बीच वितरण नहीं करेगा, यद्यपि बर्शते कि कार्यालय पदधारियों, कार्मिकों एवं अन्य कर्मचारियों को पारिश्रमिक प्राप्त करने अथवा अनुदानों में भागीदारी करने से इन कारणों से अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा, कि वे इस संस्थान के सदस्य भी हैं ।
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इस संस्थान का पंजीकृत कार्यालय कलकत्ता (अभी कोलकाता) में होगा ।
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